भगवान विष्णु के चौबीस अवतारों का उल्लेख पुराणों में मिलता है। ये अवतार धर्म की स्थापना, अधर्म का नाश और संसार की रक्षा के लिए समय-समय पर लिए गए हैं। ये अवतार मुख्यतः इस प्रकार से हैं:
1 आदिपुरुष – यह भगवान का आद्य रूप है।
कूर्म अवतार – समुद्र मंथन के समय भगवान ने कच्छप (कछुए) का रूप धारण किया।
वराह अवतार – पृथ्वी को दैत्यों के हाथ से बचाने के लिए भगवान ने वराह (सूअर) का रूप लिया।
नृसिंह अवतार – प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान ने आधा शेर और आधा मानव का रूप धारण किया।
वामन अवतार – बलि राजा से तीन पग भूमि मांगने के लिए भगवान ने बौने ब्राह्मण का रूप लिया।
परशुराम अवतार – क्षत्रियों का विनाश और पृथ्वी पर धर्म की स्थापना के लिए भगवान ने परशुराम का रूप लिया।
राम अवतार – भगवान ने रावण का वध कर धर्म की स्थापना के लिए राजा राम का रूप लिया।
कृष्ण अवतार – भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में धर्म की स्थापना की।
बुद्ध अवतार – भगवान ने ज्ञान और करुणा का संदेश फैलाने के लिए बुद्ध के रूप में अवतार लिया।
कल्कि अवतार – भविष्य में कलियुग के अंत में भगवान कल्कि के रूप में अवतार लेंगे।
मत्स्य अवतार – प्रलय के समय भगवान ने मत्स्य (मछली) का रूप लिया और वैदिक ज्ञान की रक्षा की।
हयग्रीव अवतार – भगवान ने अश्वमुखी (घोड़े के मुख वाले) हयग्रीव के रूप में वेदों की रक्षा की।
धन्वंतरि अवतार – भगवान ने अमृत लेकर धन्वंतरि के रूप में समुद्र मंथन के समय प्रकट हुए।
नारद अवतार – भगवान ने देवर्षि नारद के रूप में अवतार लिया, जो भक्ति और ज्ञान के प्रचारक माने जाते हैं।
ऋषभदेव अवतार – भगवान ने इस अवतार में तपस्या और धर्म का पालन किया।
यज्ञ अवतार – भगवान ने यज्ञ के रूप में प्रकट होकर धर्म की स्थापना की।
ऋषि कपिल अवतार – सांख्य दर्शन के प्रवर्तक माने जाते हैं।
दत्तात्रेय अवतार – भगवान त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के संयुक्त रूप माने जाते हैं।
व्याहृति अवतार – यह भगवान विष्णु का एक दिव्य रूप है।
प्रश्न अवतार – भगवान ने इस रूप में संतों को ज्ञान प्रदान किया।
अनिर्देश अवतार – भगवान का यह रूप अनिर्देशनीय माना जाता है।
अनंग अवतार – इस अवतार में भगवान ने अनंग का रूप लिया।
शुकदेव अवतार – भगवान ने महर्षि शुकदेव के रूप में जन्म लिया।
व्यास अवतार – महाभारत और वेदों के रचयिता माने जाते हैं।